October 16, 2024
गीता के पहले श्लोक का अर्थ

हम बहुत सी बातें सुनते हैं, जैसे कि त्रिगुणात्मकः प्रकृतिः पर क्या हम उन बातों की गूढ़ता को समझते भी हैं ? क्या अर्थ है, इस छोटी सी पंक्ति का ? प्रकृति त्रिगुण वाली कैसे है ? कहीं कोई व्याख्या तो अवश्य होगी, क्या है वो ? ऐसे ही गीता को सब पढते हैं, पर क्या उस गीता के श्लोकों को पढ़कर समझा जा सकता है ? यदि हाँ तो फिर गीता के पहले श्लोक को ही समझने में इतनी भारी भूल कैसे ? ये समझना होगा कि हम गीता में जो लिखा है, उसे समझते भी हैं या मात्र पढ़कर, इसी भ्रम में रहते हैं कि हमारी समझ में सब आ गया है ? आइये, समझते हैं, इस श्लोक का विस्तारित अर्थ | यदि आपको ये वीडियो अच्छा लगे तो, इसे अवश्य शेयर करें |

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