ये कथा नारद जी के महिसागर संगम तीर्थ के ब्राह्मणों के विषय में हैं, जिन्हें नारद जी, सूर्य जी को बहुत ही उत्तम कुल के और श्रेष्ठ ब्राहमण बता रहे हैं | सूर्य भगवान ब्राहमण का रूप रख कर खुद ही उन ब्राह्मणों के ज्ञान की परीक्षा लेने के लिए चल पड़े |
अतिथि (भगवान् सूर्य) बोले – ब्राह्मणों ! भोजन दो प्रकार का होता है – एक प्राकृत और दूसरा परम | अतः मैं आप लोगों का दिया हुआ उत्तम परम भोजन प्राप्त करना चाहता हूँ |
अतिथि की यह बात सुन कर हारीत ने अपने आठ वर्ष के बालक से कहा – ‘बेटा कमठ ! क्या तुम ब्राहमण के बताये हुए भोजन को जानते हो ?’
कमठ ने कहा – पिताजी ! मैं आपको प्रणाम करके वैसे परम भोजन का परिचय दूंगा तथा ब्राहमण देवता को यह भोजन देकर तृप्त करूँगा | प्रकृति आदि चौबीस तत्वों के समुदाय को जो तृप्त करता है, वही प्राकृत भोजन कहलाता है | वह छः रसों (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, कषाय तथा तिक्त) और पांच भेदों (भक्ष्य, भोज्य, पेय, लेह्य तथा चोष्य ) वाला बतलाया गया है | उसके भोजन करने से शरीररुपी क्षेत्र की तृप्ति होती है | दूसरा जो परम भोजन कहा गया है, उसकी व्याख्या इस प्रकार है – ‘ परम कहते हैं आत्मा को, उसका जो भोजन है, वही परम भोजन है | अतः नाना प्रकार के धर्म का जो श्रवण है, उसे अन्न कहा गया है | क्षेत्रज्ञ उस अन्न का भोक्ता है और दोनों कान उस अन्न को ग्रहण करने के लिए मुख हैं |
‘पिता जी ! वही परम भोजन आज मैं इन ब्राह्मण देवता को दूंगा | विप्रवर ! आपकी जो इच्छा हो पूछिए, विद्वान ब्राह्मणों की इस सभा में अपनी शक्ति के अनुसार मैं आपको संतुष्ट करूँगा |’
कमठ की यह महत्वपूर्ण बात सुन कर अतिथि ब्राहमण ने मन ही मन उसकी सराहना की और यह प्रश्न उपस्थित किया – ‘जीव कैसे उत्पन्न होता है ?’ (इसके लिए अगले लेख की प्रतीक्षा करें |)
छः रस –
मधुर – मीठा – गेहूं, चावल, जौ, मक्का, ज्वार, मूंग, मसूर, शहद, चीनी, अधिकांश फल, दूध, मक्खन, घी आदि।
अम्ल – खट्टा – नींबू वंश के फल, खट्टे स्वाद वाले फल जैसे- बेर, आलू बुखारा, जामुन, आड़ू, कीवी आदि तथा टमाटर।
लवण – नमकीन – विभिन्न प्रकार के लवण।
कटु – तीखा – अदरक, लहसुन, काली मिर्च तथा अन्य मसाले।
कषाय या क्षार – कसैले – पालक, खजूर, अपक या कच्चे फल, अंजीर आदि।
तिक्त – कडवा – करेला, मेंथी आदि।
पांच भेद –
भक्ष्य – खाने योग्य
भोज्य – भोजन ( छहों रसों से युक्त )
पेय – पीने लायक तरल
लेह्य – चाटने योग्य जैसे चटनी या अचार
चोष्य – चूसने योग्य जैसे आम