खंडन 7 – भविष्य पुराण के नाम पर फैलाए गए झूठ का खंडन
आज कल नीचे दी गयी एक फेक/झूठी पोस्ट, सोशल मिडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें भविष्य पुराण का सन्दर्भ देकर मुस्लिमों के बारे में कुछ कहा गया है, पहले आप उस पोस्ट को देखें, उसके बाद में, उस पोस्ट की सत्यता की बारे में निष्कर्ष निकाला जाएगा | उसके लिए पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें |
फेक/झूठी पोस्ट निम्न प्रकार है, जो इन्टरनेट पर और सोशल मिडिया पर फैली हुई है –
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“भविष्य पुराण “में इस्लाम (मुसलमानों) के बारे में “मोहम्मद “के “जन्म ” से भी “5 हज़ार वर्ष “पहले ही श्री वेद व्यास जी ने लिख दिया है!
“लिंड्गच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी सदूषकः !”
“उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनोमम !! 25 !!”
“विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्यामतामम !”
“मुसलेनैव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति !! 26 !!”
“तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषकाः !”
“इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृतः !! 27 !!”(भविष्य पुराण पर्व 3, खण्ड 3, अध्याय 1)
अनुवाद–“रेगिस्तान” की धरती पर एक “पिशाच” जन्म लेगा जिसका नाम “मोहम्मद” होगा, वो एक ऐसे “धर्म “की नींव रखेगा, जिसके कारण मानव जाति त्राहि माम कर उठेगी !वो असुर कुल सभी मानवों को समाप्त करने की चेष्टा करेगा!उस धर्म के लोग अपने लिंग के अग्रभाग को जन्म लेते ही काटेंगे, उनकी शिखा (चोटी ) नहीं होगी, वो दाढ़ी रखेंगे पर मूँछ नहीं रखेंगे। वो बहुत शोर करेंगे और मानव जाति को नाश करने की चेष्टा करेंगे!
राक्षस जाति को बढ़ावा देंगे एवं वे अपने को मुसलमान कहेंगे और ये असुर धर्म कालान्तर में हिंसा करते करते स्वतः समाप्त हो जायेंगे !यदि यह श्लोक और इसका अर्थ सत्य है तो मानना पडे़गा कि कम से कम आज के संदर्भ में यह बिलकुल फिट बैठता है विशेषकर आई एस आई, तालिबान और बोको हराम के संदर्भ में।
मुझे आश्चर्य है कि इतना “महत्वपूर्ण ग्रन्थ “जिसमें समय से पहले “सटीक” “स्पष्ट” तथा सत्य “भविष्यवाणियां वेद व्यास जी पाँच हजार वर्ष पहले लिख गए वो आज इतने महान तथाकथित संतों व कथाकारों ने अब तक दुनियाँ वालों को क्यूँ नहीं बताया?निवेदन है कि कम से कम आप इसे दुनियाँ के सभी लोगों तक पहुँचाने की कृपा कीजिए
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उपरोक्त पोस्ट पर मैंने बहुत माथा मारा | मैंने स्वयं भविष्य पुराण पढ़ा था पहले, पर ऐसा कुछ नहीं मिला था फिर भी तुरंत खंडन नहीं किया क्योंकि हो सकता है, मेरा ध्यान न गया हो लेकिन फिर मैंने दुबारा भविष्य पुराण उठा कर देखा, जहाँ मुहम्मद के बारे में स्पष्ट लिखा था लेकिन ये नहीं लिखा था, जो उपरोक्त पोस्ट में लिखा गया है | अब आपको इसी पोस्ट का एक और दूसरा फेक/झूठा वर्जन दिखाता हूँ, जो ऑनलाइन कॉमन हैं –
दूसरी फेक पोस्ट, जो इन्हीं सन्दर्भों के साथ सोशल मिडिया पर फैली हुई है –
भविष्य पुराण (प्रतिसर्ग पर्व 3, अध्याय 3, खंड 3, कलियुगीतिहास समुच्चय) में कहा गया है-
लिंड्गच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी स दूषकः।
उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनो मम। 25।
विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्या मता मम।
मुसलेनैव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति। 26।।
तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषकाः।
इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृतः । 27 ।।
(भ.पु. पर्व 3, खण्ड 3, अध्याय 1, श्लोक 25, 26, 27)
इन श्लोकों का भावार्थ इस प्रकार है-‘हमार लोगों (मुस्लिमों) का ख़तना होगा, वे शिखाहीन होंगे, वे दाढ़ी रखेंगे, ऊंचे स्वर में आलाप करेंगे यानी अज़ान देंगे। शाकाहारी मांसाहारी (दोनों) होंगे, किन्तु उनके लिए बिना कौल यान मंत्र से पवित्र किए बिना कोई पशु भक्ष्य (खाने) योग्य नहीं होगा (वे हलाल मांस खाएंगे)। इसक प्रकार हमारे मत के अनुसार हमारे अनुयायियों का मुस्लिम संस्कार होगा। उन्हीं से मुसलवन्त यानी निष्ठावानों का धर्म फैलेगा और ऐसा मेरे कहने से पैशाच धर्म का अंत होगा।’ भविष्य पुराण की इन भविष्यवाणियों की हर चीज़ इतनी स्पष्ट है कि ये स्वतः ही हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) पर खरी उतरती हैं। अतः आप (सल्ल.) की अंतिम ऋषि (पैग़म्बर) के रूप में पहचान भी स्पष्ट हो जाती है। ऐसी भी शंका नहीं है कि इन पुराणों की रचना इस्लाम के आगमन के बाद हुई है। वेद और इस तरह के कुछ पुराण इस्लाम के काफ़ी पहले के हैं।
उपरोक्त फेक पोस्ट भी ऑनलाइन (http://103.18.142.247/?p=10232) पर उपलब्ध हैं |
खंडन 7 – उपरोक्त फेक पोस्ट का खंडन निम्न प्रकार है |
अब देखिये कि हिन्दू इन्हीं पंक्तियों का उल्लेख मुस्लिमों को बुरा कहने के लिए कर रहे हैं और मुस्लिम इन्हीं पंक्तियों का उल्लेख खुद को सही सिद्ध करने के लिए कर रहे हैं | अब आप सोचिये, कि कोई व्यक्ति किसे सही मानेगा ? जाहिर है, हिन्दू मुस्लिमों को खराब कहने वाली पोस्ट को सही बोलेंगे क्योंकि उसे खुद कुछ नहीं पता, कि ऐसा कुछ भविष्य पुराण में लिखा भी है या नहीं पर क्योंकि भविष्य पुराण का नाम है, बस उनके लिए इतना ही काफी है | मुस्लिम उनके फेवर में कही बात को सही मानेंगे कि देखो, हिन्दू धर्मग्रंथों में भी यही लिखा है, मतलब सही है | जबकि मजेदार बात ये है कि ऐसा कहीं कुछ लिखा ही नहीं है |
अब आप सोचिये, कि किसी भी हिन्दू को भरमाना और भडकाना कितना आसान है !!! शास्त्रों के नाम पर कुछ भी लिख दीजिये और वो तुरंत मान लेगा, कि हाँ, ये सही है, चाहे वो कहीं से भी शास्त्रोक्त (शास्त्रों में लिखी हुई) न हो | खैर, अब आते हैं कि अगर ये नहीं लिखा है तो फिर क्या लिखा है ?
भविष्य पुराण में लिखा है, कि राजा भोज (शालिवाहन वंशी) दिग्विजय करते हुए, अरब पहुचेंगे | वहां एक महामद नामके व्यक्ति का भी उल्लेख है किन्तु उस पर चढ़ाई करने से पूर्व, वहां उन्होंने शिवलिंग की पूजा की, जिससे संतुष्ट होकर, शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने राजा भोज से कहा कि ये भूमि अनार्यों की भूमि है, तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए | अतः तुम यहाँ से उज्जैन जाओ और वहां का राज्य देखो | शिवजी की आज्ञा से, राजा भोज उज्जैन, वापिस आ गए | (गीता प्रेस, संक्षिप्त भविष्य पुराण)
पर हो सकता है कि संक्षिप्त भविष्य पुराण में न हो, लेकिन सम्पूर्ण भविष्य पुराण में हो | किन्तु, एक साधारण संस्कृत जानने वाला भी ये देख कर बता देगा कि ये जो संस्कृत में कुछ पंक्तियाँ सी लिखी हुई हैं, ये गलत हैं | कोई भी संस्कृत का विद्वान्, इस प्रकार लिख ही नहीं सकता क्योंकि इस में बहुत बड़ी-बड़ी गलती की हुई है | जैसे कि हमारे किसी भी धार्मिक ग्रन्थ में, यहाँ तक कि भविष्य पुराण में भी “मुसलेनैव” अथवा “मुसलमान” नाम का शब्द नहीं है | जहाँ “महामद” का उल्लेख आया है, वहां भी नहीं है | दूसरी बात इसमें लिखा है, ‘मुसलेनैव संस्कारः’ – इस नाम का कोई भी संस्कार, कहीं भी उल्लेखित नहीं है | सबसे अधिक संस्कार ब्राहमण के होते हैं, 40 संस्कार | वहां तक इस प्रकार के किसी संस्कार का कोई उल्लेख नहीं है | जब कोई चीज संस्कार है ही नहीं, तो उसे कैसे वेदव्यास जी लिख सकते हैं, जबकि उन्होंने ही, अग्नि पुराण में, ब्राहमण के लिए 40 संस्कार लिखे हैं |
पर इन दोनों से भी बड़ी एक गलती है, जो वेदव्यास तो कर ही नहीं सकते, बल्कि किसी कम बुद्धि वाले ने किया है, ऐसा निश्चित हो जाता है क्योंकि श्लोक का पहला शब्द ही है, “लिंड्गच्छेदी” – ये शब्द ही अपने आप में गलत है | लिंग माने क्या ? पेनिस ?? नहीं ! शिश्न माने पेनिस || लिंग शब्द का अर्थ तो होता है, चिन्ह | शिवलिंग अर्थात शिव जी का चिन्ह | पुल्लिंग अर्थात जिसमें पुरुष के चिन्ह हैं – दाढ़ी, मूंछ हैं, शिश्न है आदि और स्त्रीलिंग अर्थात जिसमें स्त्रियों के चिन्ह हैं | यदि लिंग का अर्थ, पेनिस ही होता तो एक तो शिवलिंग के अर्थ का अनर्थ हो जाता और दूसरा स्त्रीलिंग शब्द ही गलत हो जाता क्योंकि स्त्री में तो पेनिस होता ही नहीं है !!! अब आप सोचिये, क्या वेदव्यास जी, इस प्रकार की गलती कर सकते थे ?
मेरे ख्याल से, इतने प्रमाण पर्याप्त हैं, इस भ्रामक पोस्ट का खंडन करने के लिए | आप लोग भी याद रखिये कि संस्कृत में कुछ भी लिखने का अर्थ, उस चीज का शास्त्रोक्त हो जाना नहीं है, दूसरी बात, किसी ग्रन्थ का बस नाम दे देने से भी, कोई चीज शास्त्रोक्त नहीं हो जाती | अतः सप्रयास अपने ग्रंथों को पढ़िए अन्यथा कोई भी इस प्रकार हमको, हमारे ही शास्त्रों के नाम पर, मूर्ख बना जाएगा और हमारे अंदर, नफरत के बीज बो जाएगा, जिनका कहीं कोई शास्त्रोक्त आधार नहीं है | यदि आपको कहीं भी ये पोस्ट दिखती है, तो इस खंडन को अवश्य प्रयोग करें और अन्य ग्रुप्स में भी, इसे फॉरवर्ड करें अथवा जिसने आपको ये मैसेज भेजा है, उसे फॉरवर्ड करें |
डॉ अशोकशर्मात्मज अभिनन्दन शर्मा

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Hi
बहुत सुंदर व्याख्या है
thank you dear.
कुछ भी ऊल जलूल मत लिखो। थोड़ी भी संस्कृत समझने वाला जान जाएगा कि गलत अनुवाद किया है। अनुवाद में धर्मदूषक शब्द खा गए।
aapne post puri padhi hai ? ya adhi padh kar hi, comment kar diya ?
शब्दों का हेर फेर करके पोस्ट को झूठा साबित नहीं कर सकते
भविष्य पुराण के प्रसंग- शेष स्वयं विवेचन करें.
लिंड्गच्छेदी शिखाहीन: श्मश्रुधारी सदूषक:। उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनोमम।।25।। विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्या मतामम।
मुसलेनैव संस्कार: कुशैरिव भविष्यति ।।26।। तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषका:।
इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृत:।। 27।। : (भविष्य पुराण पर्व 3, खंड 3, अध्याय 1, श्लोक 25, 26, 27)
अर्थ- रेगिस्तान की धरती पर एक ‘पिशाच’ जन्म लेगा जिसका नाम महामद होगा, वो एक ऐसे धर्म की नींव रखेगा जिसके कारण मानव जाति त्राहिमाम् कर उठेगी।
वो असुर कुल सभी मानवों को समाप्त करने की चेष्टा करेगा।
उस धर्म के लोग अपने लिंग के अग्रभाग को जन्म लेते ही काटेंगे, उनकी शिखा (चोटी) नहीं होगी, वो दाढ़ी रखेंगे, पर मूंछ नहीं रखेंगे।
वो बहुत शोर करेंगे और मानव जाति का नाश करने की चेष्टा करेंगे।
राक्षस जाति को बढ़ावा देंगे एवं वे अपने को ‘मुसलवंत’ कहेंगे और ये असुर धर्म कालान्तरण में स्वत: समाप्त हो जाएगा।
aapne ye svyam padha hai ? bhavishya puran me ? can you share screenshot of that book ?
मैंने अपनी क्लास में संस्कृत में टॉप किया था,जिस श्लोक का आपने अनुवाद किया है बिल्कुल ग़लत अनुवाद है।
गुगल ट्रांसलेटर पर भी संस्कृत से हिंदी और संस्कृत से अंग्रेजी करके देख लिए।
और इसका ट्रांसलेशन मैंने चैटजीपीटी से भी करवा लिया।
साफ आ रहा कौल का अर्थ हराम या हलाल मानव नहीं होता,
इसमें लिखा है कि ये लोग मंत्र से पवित्र किया बिना(उसमें विधिवत् हवन किया जाता है तब मांस पवित्र किया जाता खाली हराम और हलाल बोल देने से काम नहीं चलता) सभी प्रकार मांस खाने वाले तथा धर्म को दुषित करने वाले होंगे।
गुगल ट्रांसलेटर से करो या AI ट्रांसलेशन करके देख लो , जिसको आप नफरत बोल रहे हो वो सत्य है।
जो मुर्ख लोग भौतिक फल प्राप्ति के लालच में बलि देंगे वे मंत्र से भी पवित्र करके मांस खाते है वरना हिंदू धर्म में मांस खाना और मांस कि दुकान लगाना पुर्ण रूप से वर्जित है ऐसा करने वाले को चाहे हिंदू हो या मुसलमान
पिशाच या राक्षस माना जाता है।
इस्लाम का मुख्य अंतिम उद्देश्य स्वर्ग जाना है और सनातन का मोक्ष पाना और मोक्ष के सामने स्वर्ग को बहुत छोटी चीज बताया गया है
Meri post me kahan par maans khane wala arth likha hai mitra ? aapne poori post padhi bhi hai ya keval viral post, jiska khandan neeche kiya hai, usko dekha bhi hai ? Please try to read full post then comment. It’s a request
उच्चालापी – शौर करने वाले
धर्मदुषका:- धर्म को दुषित करने वाले
👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻
https://sa.m.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%AE%E0%A5%8D_/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5_%E0%A5%A9_(%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5)/%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%83_%E0%A5%A9/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%83_%E0%A5%A6%E0%A5%A9
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aapne puri post padhi hai, ya bas adhi padh kar hi comment kar diya hai mitra ?
महोदय किया आप ये जो श्लोक है इसको वेरिफाई करने के लिए , भविष्य पुराण के खंड 3 अधाय 1 श्लोक 25,26,27 जो है उसको चित्र सहित दिखा दो क्योकी हमारे पास भविष्य पुराण नही है नेट पर सर्च करते है तो यही आता है
please read full post and content, you’ll get details
Ham tumhare hi batai ,,saari baato ko islaam ke support me bata de to tum kya karoge ,kya islaam qubool karloge
Kalyug h. Sab vedo sastro k meaning apni chal kapat wali budhi se apne anusar change kr re h. Dya kruna, sehanshelta, prem ahinsa sirf Sanatan me h. Baki sab humen made h . Sanatan k alawa sabhi dharm Kalyug k ant me vilupt ho jayenge. Qki baki sab Kalyug yani paap me vridhi lane k liye ishwar ne prakt kiye h . Or Kalyug k ant me Sanatan se hi satyug ki suruat hogi.
Guru ji sirf ek lipi bata do jo 5000 sal purani ho
आपको ये पोस्ट डालने से ऽपहले ये पता कर लेना चाहिए कि स्त्रीयों का भी खतना होता है।
अतः लिंगच्छेदन शब्द सही भी हो सकता है
Guruji bahut had tak koshis ki hai Satya ki khoj karne walon ki brain wash karne ki .
Lekin ye shanka hamesha man me rahegi.
very nice information, thank you
very informative article , thank you so much