हमें ईश्वर चाहिए, पर क्या सच में इसके लिए संसार छोड़ना पड़ेगा ? या कुछ और त्यागना पड़ेगा ? क्या रामचंद्र जी, सब कुछ त्याग कर सन्यासी हो गए थे या कृष्ण जी या अर्जुन, या युधिष्ठिर, या कोई और ? किसी ने भी संसार नहीं त्यागा ! क्या ऋषियों ने विवाह नहीं किये थे ? अपने परिवार त्याग दिए थे ? ऐसा भी नहीं है, फिर हमें क्या त्यागना है ? गुरु कैसे बनाया जाए ? पंडित जी कह देते हैं, ऐसा ऐसा कर लो, हम पूजा में वैसा वैसा कर देते हैं पर क्या हम जानते हैं, पंडित जी ने ऐसा ऐसा करने को क्यों कहा ? या उन्होंने क्या क्या कहा ? आजकल, हमारा ज्ञान, बहुत सिमित है अतः हम दूसरों के ज्ञान के भरोसे हैं पर क्या ऐसे में, आप गुरु को पहचान पाएंगे ! तीन प्रकार के शरीर कौन से होते हैं ? आज यही सब जानेंगे, अपने भगवद्गीता लेक्चर के नये भाग में | यदि आपको अच्छा लगे, तो आप भी शेयर अवश्य करें |
जानिये, शरीर के प्रकार और गुरु के बारे में |
We want God, but do we really have to leave the world for it? Or do you have to give up something else? Did Ramachandra ji become a sannyasi renouncing everything or Krishna ji or Arjuna, or Yudhishthira, or someone else? No one has left the world! Did the sages not marry? Abandoned your family? It is not so, then what do we have to give up? How to become a Guru? Pandit ji says, do this, we do that in worship, but do we know, why did Pandit ji ask to do this? Or what did he say? Nowadays, our knowledge is very limited, so we rely on the knowledge of others, but in such a situation, you will be able to recognize the Guru! What are the three body types? You will know all this today, in the new part of your Bhagavad Gita lecture. If you like it then you must also share
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