क्या कैकयी से भी कोई निष्ठुर रानी थी ? कैकयी ने तो पुत्र मोह में अपने पुत्र का राज्यभिषेक और राम को वनवास माँगा था पर क्या कोई ऐसी भी रानी थी, जिसने अपने ही पति के पुत्र का वध ही वचन में मांग लिया था ? वो भी उसके ही पिता के द्वारा ? जी हाँ, एक से एक प्रेरक कथाएं हैं, अपने शास्त्रों में | ऐसी ही एक कथा है, रानी मोहिनी और राजा रुक्मांगद की | जहाँ राजा रुक्मांगद ने ईक्ष्वाकु वंश से होते हुए भी, अपने वचन को पूरा करने से मना कर दिया ? क्या था वो वचन ? वचन पूरा न होता देख, रानी मोहिनी ने क्या चाल चली ? ये सब जानने के लिये आप सुनते हैं, रानी मोहिनी और राजा रुक्मांगद की रोमांचक कथा |
आप भी सुनिए, इस रोचक कथा को और यदि आप भी किसी के शुभचिंतक स्वयं को मानते हैं, तो उन्हें भी ये कथा सुनाइये, दिखाइए, व्हाट्सप्प ग्रुप में शेयर कीजिये | बच्चो को भी दिखाइए अथवा स्वयं सुन कर उनको सुनाइए ताकि उन्हें भी समय आये कि बोली हुई बात की वैल्यू कितनी होती है और सत्यरक्षा कैसी की जाती है |
जब आप बच्चो को उच्च उदाहरण प्रस्तुत करेंगे, तब ही उनमें भी वैसा होने की इच्छा जागृत होगी | आशा है, आपको ये कथा पसंद आएगी |