पहले बच्चों को शिक्षा, शिष्टाचार, कर्तव्य आदि सिखाने के लिये घर के दादा दादी सोने से पहले बच्चों को कहानियां सुनाते थे | बच्चे कहानी कहानी में, कोई शिक्षा ग्रहण कर लेते थे | फिर एकल परिवार आने के बाद से, ये जिम्मेदारी माँ-बाप पर आ गयी पर क्या माँ-बाप बच्चों को कहानियां या नैतिक शिक्षा दे पा रहे हैं ? कहानियां धीरे धीरे बच्चों के जीवन से खत्म होती जा रही हैं और उनकी जगह मोबाइल और यूट्यूब के वीडियो ले रहे हैं |
पर वास्तव में कहानियाँ नहीं, नैतिक शिक्षा, लोक शिक्षा बच्चों के जीवन से समाप्त हो रही है | इसलिए कहानियों का महत्व समझें और बच्चों को सुनाएँ | इस बार की बालसंस्कारशाला में बच्चो को कुबेर और गणेश जी की कहानी सुनाई गयी, जिसमें बताया गया कि देवताओं और भगवान का क्रम क्या है ! घमंड नहीं करना चाहिए, शो ऑफ नहीं करना चाहिए और ये सब बता दिया, कहानी-कहानी में | आप भी देखें, अपने बच्चों को दिखाएं, अगर वो न देखें तो स्वयं देखें और फिर बच्चों को सुनाएँ पर कहानियों को जिन्दा रखिये | कहानियां ज़िंदा रहेंगी तो बच्चे सीखते रहेंगे | (वीडियो लिंक कमेंट बॉक्स में) कहानी तो आपने ये सुनी होगी पहले भी, पर बच्चों को कैसे सुनानी है, उसके लिए ये वीडियो अवश्य देखें |
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