November 29, 2023

शास्त्र ज्ञान सत्र 41 में, निम्न विषयों पर चर्चा हुई |

१. योग – इसमें चित्त की वृत्तियों को कैसे कण्ट्रोल करें (योगश्चित्त वृत्ति निरोधः – पतंजलि योगसूत्र) इस विषय पर आगे चर्चा की गयी | पिछली बार, भगवद्गीता में कृष्ण जी ने क्या तरीका बताया था, इस पर चर्चा की गयी थी और इस बार उसी बात को और आगे बढाया गया | इस बार, ईशावास्य उपनिषद से, योग को समझने के लिए निम्न मन्त्र पढ़ा गया –

ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत् । तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ।|

इस मन्त्र में त्याग करके भोग करने को कहा गया है (तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा) अब त्याग करके भोग कैसे हो ? या तो त्याग ही होगा या भोग ही होगा, दोनों एक साथ कैसे हो सकते हैं ? इसके लिए, होता का उदाहरण दिया गया कि जिस प्रकार होटल में जाने पर, हमें उसके पर्दों से, उसकी साफ़ सफाई से, उसकी चादर से मोह नहीं होता ! हम उसे अपना नहीं समझते और जितना प्रयोग करते हैं, उतने का पेमेंट करके चले आते हैं, इसे ही जीवन में भी किसी चीज से मोह नहीं करना चाहिए | कैसे ? इसके विभिन्न उदाहरण दिए गए | यदि मोह किया तो फिर उसका फल चुकाना पड़ेगा क्योंकि गीता में कृष्ण जी स्पष्ट कहते हैं कि सङ्गात् संजायते कामः अर्थात संग से, यानि राग से, कामनाएं उत्पन्न होती हैं | कामना उत्पन्न हुई तो फिर उसका फल भी चुकाना पड़ेगा | फिर बताया गया कि कैसे राग न करने से, चित्त की वृत्तियों का निरोध होता है और फिर कैसे उससे चित्त शुद्ध होता है और आत्मा को मुक्ति मिलती है | इसी सन्दर्भ में, निष्काम कर्म का असल मतलब बताया गया | (वीडियो का लिंक कमेन्ट में दिया गया है |)

तर्कशास्त्र – इस बार प्रत्यक्ष प्रमाण के बारे में विस्तार से चर्चा हुई कि प्रत्यक्ष प्रमाण किसे कहते हैं ? इन्द्रियों + पदार्थ के संयोग से जो ज्ञान उत्पन्न होता है, वो प्रत्यक्ष प्रमाण होता है | किन्तु क्या सदैव ऐसा ही होता है कि हम किसी विषय को इन्द्रियों से देखकर ज्ञान कर पाते हैं ? नहीं ! बहुत बार ऐसा होता है कि इन्द्रियां विषयों को देखती सुनती हैं किन्तु हमें पता नहीं चलता है ! इसके विभिन्न उदाहरण दिए गए | ऐसा क्यों होता है ? क्योंकि मन इन्द्रियों के साथ नहीं होता है | अतः मन भी एक इन्द्रिय है | मन क्या करता है ? मन, इन्द्रियों से प्राप्त इनफार्मेशन को आत्मा तक पहुचाता है | आत्मा क्या करती है ? इस सन्दर्भ में गीता के श्लोक द्वारा, आत्मा को उपदृष्टा बताया गया | कैसे आत्मा उपदृष्टा है ? इसका उदाहरण दिया गया ! इसको स्पष्ट करने के बाद, तर्कशास्त्र से, मन के लिए तीन सूत्र दिए गए | जिसमें बताया गया कि मन जब इन्द्रियों के साथ जुड़ा रहता है, तब ही प्रत्यक्ष ज्ञान होता है, अथवा नहीं | इन सूत्रों से निष्काम कर्म को और स्पष्ट किया गया और योग कैसे किया जाए, ये बताया गया | ये सूत्र ही कर्मयोग की सीढ़ी है | कैसे ? इसके उदाहरण | (वीडियो का लिंक नीचे कमेन्ट में दिया गया है |)

इसके बाद मन इन्द्रिय में और अन्य इन्द्रियों में क्या अंतर है और मन १ ही है, ये कैसे पता ? इसको बताया गया | मन कैसे काम करता है, इसको उदाहरणों द्वारा समझाया गया |

कथा – (स्कन्दपुराण से घटोत्कच की कथा) घटोत्कच का युधिष्ठिर की सभा में आना | युधिष्ठिर का कुशल मंगल पूछना | युधिष्ठिर द्वारा कृष्ण जी से, घटोत्कच के लिए किसी लड़की के बारे में पूछना, जिससे विवाह किया जा सके | कृष्ण जी द्वारा, काम्कंटका के बारे में बताना और उसकी प्रशंसा करना | काम्कंटका कौन थी और कृष्ण जी का उससे युद्ध क्यों हुआ और क्यों वो घटोत्कच के योग्य है, ये बताना | काम्कंत्का की विवाह के लिए शर्त कि जो उसे किसी प्रश्न पर निरुत्तर कर देगा, उसी से विवाह करेगी अन्यथा प्रश्न करने वाले को मार डालेगी | ये सुनकर युधिष्ठिर का मना करना | किन्तु अर्जुन और भीम का घटोत्कच पर विशवास दिखाना | घटोत्कच द्वारा प्रतिज्ञा करना कि वो कामकंटका को जीत कर ले आएगा, सभा से जाना | घटोत्कच द्वारा, काम्कंटका से, एक पहेली पूछना | काम्कंटका का हारना, घटोत्कच से युद्ध का प्रयास, फिर हारना | पत्नी होना स्वीकारना, घटोत्कच का परिवार में ले जाकर, विवाह करना | पुत्र होना, भीम द्वारा, पुत्र का नाम बार्बरीक रखना (यही बर्बरीक खाटू श्याम जी के नाम से जाने जाते है |) – विस्तृत कथा के लिए, वीडियो लिंक कमेन्ट में दिया गया है |

सुभाषित – अन्नदानं परं दानं विद्यादानमतः परम् । अन्नेन क्षणिका तृप्तिर्यावज्जीवं च विद्यया ॥
इसका अर्थ कि अन्नदान और विद्यादान दोनों ही दान श्रेष्ठ हैं किन्तु अन्न दान से, विद्यादान अधिक श्रेष्ठ है | क्यों ? कैसे ? इसकी विस्तृत व्याख्या और ज्ञान और विद्या में अंतर | (वीडियो का लिंक कमेन्ट में दिया गया है |)

प्रयास कीजिये, अगले शास्त्र ज्ञान सत्र में आप भी आ सकें |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

%d bloggers like this: