भक्ति के प्रकारों को समझकर, ही हम भक्ति को कर सकते हैं | इसको समझना आवश्यक है वरना पता ही नहीं चलता कि कब हम भक्ति कर रहे होते हैं और कब ढोंग | ढोंग भी तब ही समझ आएगा, जब भक्ति समझ आएगी | पानी और दूध का फर्क तो तब ही पता चलेगा, जब हमें दोनों की quality और टेस्ट अलग अलग पता होंगे | वरना कब हम आँख बंद करके पानी पी रहे होंगे और कब दूध, कुछ पता नहीं चलेगा |