July 27, 2024
satya spirit first coaching 1 ज्ञान कैसे प्राप्त करें ?

Girl performs yoga on the hill against the blue sky. She is sitting in the lotus position and her hair fluttering in the wind. She is wearing in a white loose-fitting clothing. Concept: freedom health cleanliness.

ज्ञान कैसे प्राप्त करें ? ज्ञानी कैसे होते हैं ?


वेद ! वेद शब्द बना है ‘विद्’ धातु से, जिसका प्रयोग ज्ञान के लिये होता है अतः वेद का अर्थ है ‘ज्ञान’ | विद्वान शब्द भी इसी ‘विद्’ धातु से बना है, जो ज्ञानी के लिये प्रयुक्त होता है | पर प्रश्न ये है कि विद्वान कोई कैसे होता है ? ज्ञानी कोई कैसे बन सकता है ? क्या ज्ञानी होने का भी कोई फार्मूला है ? कुछ लोग कहते हैं कि गुरु से ज्ञान लिये बिना कोई ज्ञानी नहीं होता है अर्थात गुरु से ज्ञान लेने से भी ज्ञानी हो सकते हैं | कुछ लोग कहते हैं, जिसने शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया, वो ज्ञानी नहीं हो सकता है अर्थात शास्त्रों का अध्ययन भी ज्ञानी होने के लिए आवश्यक है | कुछ लोग कहते हैं कि जिसने वेदों का अध्ययन नहीं किया है, जो स्वयं ज्ञान स्वरूप हैं, उसको भी ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता है अर्थात वेदों के अध्ययन से ज्ञानी हुआ जा सकता है |


मेरा मत ऐसा नहीं है | यदि गुरु के बनाने से या उसके सिखाने से ज्ञानी हो सकते होते तो कौरवों ने भी उसी गुरु से शिक्षा ली थी, जिससे पांडवों ने ली थी पर कौरव ज्ञानी नहीं हुए, जबकि पांडवों की सभी प्रशंसा करते हैं | कर्ण भी उन्ही द्रोणाचार्य से पढ़ा था (आप सुधार कर लें) लेकिन उसके भी ज्ञान में कोई खास वृद्धि नहीं हुई क्योंकि उसने भी एक स्त्री के लिये अशोभनीय बातें कहीं | अतः गुरु के होने से ज्ञान हो सकता है, ऐसा मुझे नहीं लगता | कृष्ण जी, जिन संदीपनी गुरु के आश्रम में पढ़े, उस आश्रम में अन्य शिष्य भी अवश्य पढ़ते होंगे किन्तु किसी और के ज्ञान के बारे में वैसा लिखा नहीं मिलता, जैसा कृष्ण और बलराम जी के बारे में लिखा मिलता है | अतः कोई गुरु किसी को ज्ञानी बना सकता है, इसमें संशय है | छात्र में ही ऐसी कोई बात होनी चाहिए, जो उसे ज्ञानी बना सके | आजकल एक ही गुरु के बहुतेरे शिष्य होते हैं पर ऐसा नहीं देखा गया है कि वो शिष्य भी उतने ही ज्ञानी हो गये हों, जितना ज्ञान गुरु के पास है | हाँ, फोलोअर अवश्य हो सकते हैं… ज्ञानी भी होंगे, इसमें संशय है |


वेद पढने से अथवा शास्त्रों के पढने से भी कोई ज्ञानी नहीं होता है क्योंकि यदि ऐसा होता तो रावण ने भी वही वेद और शास्त्र पढ़े थे, जो भगवन श्री रामचन्द्र जी ने पढ़े थे | लेकिन रावण क्रूरकर्मा था (वाल्मिक रामायण को ही सन्दर्भ माने) जबकि रामचंद्र जी ज्ञानी हुए |


तो फिर ज्ञानी होने का फार्मूला क्या है ? जब पढ़कर और गुरुकृपा से ज्ञानी नहीं हो सकते हैं तो फिर कैसे हो सकते हैं ? ज्ञानी होने का फार्मूला नीचे लिखा है (महत्वपूर्ण है अतः ध्यान से पढ़ें)


ज्ञान कोई किसी को नहीं दे सकता है | ज्ञान ट्रान्सफर नहीं किया जा सकता है | ज्ञान स्वयं में उपजता है | कैसे ? सबसे पहले आते हैं, विषय | आप विभिन्न विषयों को चुनते हैं | उन विषयों से आते हैं विचार | जिस विषय के बारे में आप विचार करेंगे, उसी से सम्बन्धित विचार भी मन में आयेंगे | विचारों के आने से होता है – ‘चिन्तन’ | ये विचार आप किसी शास्त्र से, वेद से, गुरु से, सत्संग से, कहीं से भी ले सकते हैं | पुराने ज़माने में इसीलिए सत्संग अथवा ज्ञानियों के सानिध्य की महिमा बतायी गयी है क्योंकि वहां से आपको चिन्तन के लिए समुचित विचार मिल जाते हैं | चिन्तन के लिए विचारों का होना आवश्यक है | आपको विभिन्न विषय और विभिन्न विचार कहीं से भी मिल सकते हैं लेकिन चिन्तन आपको स्वयं करना पड़ेगा | चिन्तन कोई किसी से नहीं करवा सकता है | चिन्तन मन के स्तर पर होता है |


पर केवल चिन्तन से भी ज्ञान प्राप्त नहीं होता है | विषय, विषय के बाद विचार और विचार के बाद चिन्तन और चिन्तन के बाद होता है – ‘मंथन’ | मंथन से उन विचारों को मथा जाता है, जैसे दही दही को मथते हैं और बाद में घी निकलता है, वैसे ही विचारों के चिन्तन के पश्चात, उसमें विभिन्न तथ्यों का मंथन करना पड़ता है | मंथन के फलस्वरूप विभिन्न विचारों, विषयों और तथ्यों पर तर्क-वितर्क करना होता है | उस तर्क-वितर्क के पश्चात उसमें से घी के रूप में थोड़ा थोड़ा ज्ञान उपजता है, जो निष्कर्ष स्वरूप इस चित्त को ग्राह्य होता है |


इस प्रकार ही ज्ञान – समुचित विचारों पर मंथन, चितन, तर्क-वितर्क करने वाले को ही होता है | ये मंथन, तर्क-वितर्क आदि स्वयं ही किये जाते हैं, किसी दूसरे से नहीं ! दूसरे से मात्र आप उसके विचार ले सकते हैं, जो तर्क-वितर्क में सहायक हो सकते हैं किन्तु अन्य आपको स्वयं में, अपने आप से करने होते हैं |


आज-कल ज्ञानी क्यों उपलब्ध नहीं है ? क्योंकि अब लोगों के पास विषय बहुत सारे हैं (कम विषय अथवा कम विषयों पर चिन्तन करने से ही समुचित ध्यान एकत्रित हो सकता है), दूसरा, हम विषयों को और उस से सम्बंधित विचारों को एकत्रित भी करते हैं किन्तु उस पर समुचित चिन्तन नहीं करते हैं और अपने मन के स्तर पर ही उन विचारों के तथ्यों के अनुसार ही फैसला ले लेते हैं, निष्कर्ष निकाल लेते है | उसे मंथन और तर्क-वितर्क तक जाने ही नहीं देते हैं | जो विषय आपको तुरंत समझ आ जाए, समझ लीजिये कि वो समझ नहीं आया है |


ज्ञानी होने की कुछ आवश्यक शर्ते भी हैं जैसे कि छात्र (जिज्ञासु पढ़ें) को पात्र होना चाहिये (पात्र कौन होता है और कैसे पात्र बनते हैं, उसके लिए मेरी वाल पर या shastragyan.in पर – बर्तन चमक उठेंगे वाली पोस्ट पढ़ें) और दूसरी शर्त है कि जिज्ञासु को धर्म का सही सही ज्ञान होना चाहिये | जो धार्मिक नहीं है, वो ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता है (धार्मिक मतलब हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई से नहीं है) अतः जिज्ञासु को धर्म क्या है, इस विषय को अच्छे से समझने का और जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिये |


वर्षों के निष्कर्ष आपके पास पिछले कुछ दिनों की पोस्ट में आये हैं, जैसे पात्र कैसे बनें ? पाप और पुण्य क्या होते हैं ? ज्ञान कैसे प्राप्त करें ? अब इसके अगले टॉपिक – “धर्म क्या है ?” इसके लिये आपको ज्वाइन करना होगा, 26 जुलाई को होने वाला वेबिनार – “धर्म क्या है ?” | जहाँ मैं आपको ज्ञान प्राप्त करने के लिये समुचित विचार दूंगा | चिन्तन/मंथन/निष्कर्ष आप निकालेंगे | मैंने जो निष्कर्ष निकाला है, धर्म के ऊपर, वो निष्कर्ष विस्तार से आपके सामने रखूँगा और मेरे उस निष्कर्ष को यदि आप सही समझते हों, तो उसे मान कर जीवन में उतार सकते हैं अथवा जहाँ तक निष्कर्ष मैंने दिया होगा, वहां से आगे का चिन्तन/मंथन/तर्क-वितर्क आप स्वयं कर सकते हैं |


इस प्रकार, आज आप ज्ञानी होने का फार्मूला जान चुके हैं | मिलते हैं, वेबिनार – “धर्म क्या है ?” में, 26 जुलाई को, 3 बजे | आपने रजिस्ट्रेशन कराया या नहीं ? देर मत कीजिये… करीब 50 सीट भर चुकी हैं | 25 जुलाई तक ही रजिस्ट्रेशन लिए जायेंगे और उसके बाद रजिस्ट्रेशन बंद कर दिये जायेंगे |


पं अशोकशर्मात्मज अभिनन्दन शर्मा

रजिस्ट्रेशन लिंक

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