स्कन्द जी ने अर्जुन को ब्रह्माण्ड के बारे में...
तामसी
द्विहेतु षड्धिष्ठानाम षडंगम च द्विपाक्युक् । चतुष्प्रकारं त्रिविधिम त्रिनाशम...
अहम् ब्रह्मास्मि
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