खंडन 2 – 33 कोटि देवताओं वाली वायरल पोस्ट का खंडन
आजकल एक पोस्ट सोशल मिडिया पर वायरल है कि देवता 33 करोड़ नहीं होते, मात्र 33 होते हैं | 33 देवताओं वाली वायरल पोस्ट पर बहुत से वीडियो भी बन चुके हैं और कुछ सीरियल में भी ये दिखाया गया है, इस झूठ के इतने व्यापक प्रसार के कारण, यह पोस्ट, हमारे पास खंडन के लिये आई है |
जब इस प्रकार की पोस्ट, व्हात्सप्प पर शेयर की जाती हैं तो अधिकतर लोग, उसे तुरंत अंतिम और परम सत्य मान लेते हैं, क्योंकि अधिकतर लोगों ने शास्त्रों को छुआ नहीं होता है और पढ़ा नहीं होता है अतः इस प्रकार की व्हात्सप्प पोस्ट्स को बिना किसी तर्क-वितर्क के, बिना किसी खोज-बीन के, बिना गहराई में जाए, उसे स्वीकार कर लेते हैं और इस प्रकार, इस तरह की पोस्ट, व्हास्त्सप्प पर वायरल हो जाती हैं और फिर टीवी में आ जाती हैं | करोड़ों लोगों तक इनकी रीच होती है, जबकि उसकी गहराई में जाने का प्रयास मात्र 0.1% से भी कम लोग करते हैं | जब हम शास्त्रों के बारे में कोई बात करते हैं तो कम से कम, उस विषय की वेसिक डिटेल्स तो हमें पता होनी ही चाहिए जैसे कि इस पोस्ट में प्रश्न है कि देवता कितने होते हैं ! तो पहले ये तो पता हो कि देवता कौन होता है ?
देवता कौन होता है ?
सो पहले, ये समझना आवश्यक है कि देवता कौन होता है ? निरुक्त के अनुसार (ये मत पूछियेगा कि निरुक्त क्या होता है, नहीं पता है तो गूगल कीजियेगा), जो कुछ देता है, उसे देवता कहते हैं | जैसे, पेड़ ऑक्सीजन देते हैं अतः वृक्ष देवता हैं | समुद्र मेघों को जल देता है, जिससे वर्षा होती है, अतः समुद्र भी देवता है | पहाड़ औषधियों को आश्रय देते हैं, अतः पर्वत भी देवता हैं | चंद्रमा उन औषधियों के लिए प्रकाश देते हैं अतः चंद्रमा भी देवता हैं | इस प्रकार, आप गिनते जाइये, हजारों देवता आपको मिल जायेंगे | यहाँ तक कि ब्राहमण को भी देवता कहा गया है क्योंकि ब्राहमण ज्ञान का बीजारोपण करता है और ईश्वर प्राप्ति का पथ प्रदर्शित करता है, ज्ञान देता है | (33 करोड़ देवता का संदर्भ क्या है ? क्या कहीं लिखा है कि देवता 33 करोड़ होते हैं ?)
अब आते हैं, इस पोस्ट की अगली बात पर ! ये आखिर 33 प्रकार के देवता का सन्दर्भ इस पोस्ट ने कहाँ से लिया है ? क्या किसी ने इतना भी खोजने की कोशिश की ! ये पोस्ट, बृहदारण्यक उपनिषद में याज्ञवल्क्य के शास्त्रार्थ से लिया गया है | ये वही उपनिषद है, जिसमें याज्ञवल्क्य-गार्गी का प्रसिद्द संवाद है | तीसरे अध्याय के नौवें ब्राहमण में ये सन्दर्भ दिया गया है, जहाँ गार्गी द्वारा कहने पर कि आप में से किसी में इतनी सामर्थ्य नहीं है, जो इस ब्रह्मज्ञानी को जीत सके। ऐसा कहकर वह मौन हो गयी।
लेकिन, शाकल्य विदग्ध अत्यन्त अभिमानी थे। उन्होंने अंहकार में भरकर याज्ञवल्क्य से प्रश्न पर प्रश्न करने प्रारम्भ कर दिये | उन्होंने याज्ञवल्क्य से पूछा कि देवता कितने होते हैं और ये प्रश्न उन्होंने 5 बार पूछा | ध्यान दें, पांच बार एक ही प्रश्न किया और पाँचों बार याज्ञवल्क्य ने एक ही प्रश्न के पांच अलग अलग उत्तर दिए ! क्या आपको, अब भी ये प्रश्न इतना आसान लगता है !
याज्ञवल्क्य के ही अनुसार देवताओं की असली संख्या
पहली बार में याज्ञवल्क्य ने उत्तर दिया, देवता 3306 (तीन सौ तीन और तीन हजार तीन = 3306) होते हैं | ध्यान दें ! 33 नहीं कहा, 3306 कहा | शाकल्य ने कहा, ठीक है, देवता कितने होते हैं | तब याज्ञवल्क्य ने प्रश्न की गहराई समझते हुए, अपना उत्तर परिवर्धित किया और बोले – देवता 33 होते हैं और उन्होंने 33 के नाम बताये | शाकल्य बोले – ठीक है, देवता कितने होते हैं ? इस बार याज्ञवल्क्य ने उत्तर बदला और बोले – देवता 6 होते हैं और फिर उनके नाम बताये | शाकल्य बोले – ठीक है, देवता कितने होते हैं ? इस बार याज्ञवल्क्य ने कहा – देवता तीन होते हैं और फिर उन दोनों के नाम बताये और आखिर में याज्ञवल्क्य बोले कि देवता 2 होते हैं और फिर कहते हैं कि देवता डेढ़ होते हैं और फिर अंत में कहते हैं कि देवता 1 होते हैं और फिर उस एक का नाम बताया |
अब इस उपरोक्त 33 प्रकार के देवता वाला व्यक्ति क्या बता सकते है कि देवता 33 होते हैं ? 6 होते हैं ? 3 होते हैं ? 2 होते हैं ? डेढ़ होते हैं ? या एक होते हैं ? इस प्रकार, इस पोस्ट लिखने वाले ने, आधी अधूरी बात, व्हात्सप्प पर शेयर की, बिना कोई सन्दर्भ बताये, बिना कोई रिफरेन्स दिए क्योंकि उसे पता है, कि कौन इस की खोज बीन करने वाला है, सब आँख बंद करके मान जाने वाले हैं | ज्यादातर इस प्रकार की मनगढ़ंत पोस्ट करने वालों को ये विश्वास पहलेसे होता है कि पढने वाला इसे सत्य मान ही लेगा | खैर, मूल प्रश्न पर आते हैं कि देवता कितने होते हैं ?
पहले पक्ष में हमें पता चला कि कुछ भी देने वाला, देवता है | ये हजारों हो सकते हैं किन्तु क्या किसी वेद में, इन 33 के अलावा भी कोई नाम है ? हम इन 33 को ही क्यों नही मान रहे ? हमारे पास क्या प्रमाण है ? तो इसके लिए कुछ सन्दर्भ देता हूँ –
1. मैत्रायणीसंहिता/काण्डं 2/प्रपाठकः 08, 2.8.3 अनुवाकः 3 – अग्निर्देवता, वातो देवता, सूर्यो देवता, चन्द्रमा देवता, वसवो देवता, रुद्रा देवता, आदित्या देवता, मरुतो देवता , इन्द्रो देवता, वरुणो देवता, बृहस्पतिर् देवता, विश्वे देवा देवता – यहाँ तो चन्द्रमा भी देवता हैं ! बृहस्पति भी देवता हैं ! विश्वेदेव भी देवता है !
२. (यजु. १४.२०) – अग्निर्देवता वातो देवता सूर्यो देवता चन्द्रमा देवता वसवो देवता रुदा देवताऽऽदित्या देवता मरुतो देवता विश्वेदेवा देवता बृहस्पतिर्देवतेन्द्रो देवता वरुणो देवता। – यहाँ अग्नि, वायु, चंद्रमा आदि भी देवता हैं ! जो उन ३३ में नहीं है !
इनके अलावा क्या आप, गणेश, स्कन्द, धन्वन्तरी, भैरव आदि को देवता नहीं मानते ! याज्ञवलक्य जी ने जो विभिन्न उत्तर दिए हैं, उसका आश्रय ये है कि यदि सभी को न जानो, तो भी मुख्य रूप से किस देवता को जानना चाहिए ! इसी वजह से, हर बार उन्होंने अपने उत्तर को बदल दिया और इसी वजह से, प्रश्न पूछने वाले ने भी बार बार कहा – ठीक है ! लेकिन हमने क्या किया ? हमने न तो उपनिषद पढ़ा ! न उसको समझने की कोशिश की बल्कि एक निष्कर्ष तुरंत दे दिया कि देवता 33 होते हैं ! यदि आप सूर्य देवता के 12 रूप ले रहे हैं तो फिर वायु देवता के कितने रूप होते हैं ? अग्नि कितने प्रकार की होती है ? उन सबको क्यों नहीं गिनेंगे ? मरुत कितने होते हैं ? (मरुत 49 या 63 – त्रिर्वैसप्त-सप्त मरुतः , काठक सं. 37.4), विश्वेदेव कितने होते हैं, ये क्यों नहीं गिनेंगे ? (3 से 33 करोड़ -अनन्ता विश्वेदेवाः , शत०ब्रा० 14.6.1.11 ) | इसकार अर्थ ये हुआ कि हमने विषय को बिना पूरा जाने, एक गलत निष्कर्ष से सहमती जताई | जो कि गलत है |
सच कहूं, मुझे नहीं पता कि देवता कितने होते हैं लेकिन महाभारत के आदिपर्व (1/1/54) में कहा गया है –
त्रयस्त्रिंशत्सहस्राणि त्रयस्त्रिंशच्छतानि च। त्रयस्त्रिंशच्च देवनां सृष्टिः संक्षेपलक्षणा।। – देवताओं की सृष्टि ३3 हजार, 33 सौ, 33 लक्षित होती है |
मत्स्यपुराण ( 126.64) में लिखा है –
त्रयस्त्रिंशत्सहस्राणि देवाः सोमं पिबन्ति वै । – इस संख्या का अर्थ आप स्वयं कर लें |
इन सबके निष्कर्ष स्वरूप, मैं कहता हूँ कि जो याज्ञवल्क्य जी ने बताया है, वो संक्षेप में, प्रमुख देवताओं की बात कही है, जिनको मनुष्य को अवश्य जानना चाहिए किन्तु उस शास्त्रार्थ के बेसिस पर एक नया निष्कर्ष स्वरूप तथ्य देना, गलत है, भ्रामक है | देवताओं की संख्या निश्चित ही हजारों, लाखों में हैं, किन्तु मात्र 33 ही देवता होते हैं, ये कहना गलत है, भ्रामक है |
इसीलिए अंत में फिर कहता हूँ, प्रण लीजिये कि आगे से, इस प्रकार की धार्मिक पोस्ट के बेसिस पर, धर्म को, शास्त्रों को समझने का, प्रयास कदापि न करेंगे अपितु किसी योग्य पंडित से, किसी योग्य ज्ञानी से अथवा मूल शास्त्रों को समझने का प्रयास करेंगे | फेसबुक, व्हात्सप्प आदि से धर्म/शास्त्रों को नहीं समझा जा सकता है | जो ऐसा समझता है, वो बड़ा ही भोला है |
इस ग्रुप के सभी सदस्यों से निवेदन है कि इस पोस्ट को भी शेयर करें, अधिक से अधिक, ताकि लोगों का भ्रम, इस विषय पर दूर हो सके | इस अपने फेसबुक पोस्ट बनाइये, कॉपी, पेस्ट कीजिये लेकिन इसे प्रसारित कीजिये | इस प्रकार की भ्रामक पोस्ट का विखंडन और प्रतिकार अतिआवश्यक है | इतना पढने के लिए आप सभी का धन्यवाद |
पं अशोकशर्मात्मज अभिनन्दन शर्मा