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Aghori Baba Ki Gita, Part 1
इस उपन्यास के मुख्य पात्र के पास भारतीय शास्त्रों और ख़ास तौर से भगवद्गीता से सम्बन्धित कुछ संशय हैं, किन्तु उन संशयों को दूर करने वाला कोई नहीं है। अनायास उसे एक अघोरी बाबा मिलते हैं, जो उसे भगवद्गीता का गूढ़ रहस्य, आज की जीवन-शैली के हिसाब से समझाने की कोशिश करते हैं। किन्तु जब बाबा देखते हैं कि अभी तो इसे भारतीय शास्त्रों का क-ख-ग भी नहीं पता, तो वो अंतर्धान हो जाते हैं। अपनी जिज्ञासा को लिए, वह मुख्य पात्र, अन्य किरदारों – एक भिखारी, एक मेहतर और एक वेश्या से मिलता है, जो उसे भगवद्गीता और शास्त्रों में निहित, व्याकरण, योग, अद्वैत, ‘साइकोलॉजी’ आदि का अद्भुत ज्ञान देते हैं। कैसे एक आम इन्सान को आज के जीवन के सन्दर्भ में एक भिखारी से, एक मेहतर से और एक वेश्या से शास्त्रों का गूढ़ ज्ञान मिला? कैसे इस ज्ञान से उसकी जीवन-शैली में परिवर्तन आया? क्यों उसे ऐसे लगा कि शास्त्रों का ज्ञान पुराना नहीं है, बल्कि आज भी यह जीवन में उतना ही उपयोगी है, जितना शायद पहले कभी रहा होगा। उसे भारतीय शास्त्रों के कौन से रहस्य पता चले, जिन्होंने उसके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया? अंत में जान लें कि इस कहानी के मुख्य पात्र खुद आप हैं; आप ही इस किताब के पाठक हैं और आप ही इसके मुख्य पात्र भी। जाइये. अघोरी बाबा बुला रहे हैं
Aghori Baba ki Gita, part 2
इस कहानी के मुख्य पात्र की यात्रा अब शुरू होती है, अलीगढ़ की जहाँ एक झाड़ू लगाने वाला मेहतर, जिसके बारे में प्रसिद्ध है कि वो शास्त्रों का बहुत बड़ा ज्ञाता है, उसके पास जाना है ! लेकिन क्या एक ब्राहमण को ज्ञान की तलाश में, एक मेहतर से भगवद्गीता को समझना चाहिये ? क्या उसके पास इतना ज्ञान है भी, जो उसके पास जाया भी जाए ! किन्तु जब मुख्य पात्र, अलीगढ़ में किशोर नाम के उस मेहतर से मिलता है, तो भौचक्का रह जाता है धर्म को लेकर, जाति व्यवस्था को लेकर, वर्ण व्यवस्था पर, कर्म और उसके फल, शास्त्रों के विभिन्न शब्दों के अर्थ जैसे अहिंसा परमो धर्मः ज्योतिष, गणित, छंद शास्त्र आदि पर जैसी बातें उस मेहतर को पता हैं, वैसी बातें तो बड़े बड़े पंडितों को नहीं पता ज्ञान प्राप्ति की चाह में, मुख्य पात्र, उस मेहतर से, सीखता है, गीता में लिखित गूढ़ ज्ञान और कर्मयोग, छंद शास्त्र से बाइनरी सिस्टम, धनुर्वेद से साइन और कोसाइन आदि, शास्त्रों की कथाओं में छिपा खगोल विज्ञान, जिसमें बात है, सोलर सिस्टम के दसवें ग्रह की ऐसी अनेकों रहस्यमयी बातों का पिटारा है, किशोर जी, लेकिन जैसा कि हर पढ़ाई के बाद होता है, यहाँ भी, पढ़ाने के बाद किशोर जी ने, मुख्य पात्र की परीक्षा ली और परीक्षा थी, परोपकार करने की जिसमें मुख्य पात्र फेल हो गया, वो एक ऐसा परोपकार नहीं कर पाया, जिससे योगी होने के मार्ग पर वो आगे बढ़ सके फिर क्या हुआ ? क्या मुख्य पात्र को भगवद्गीता का गूढ़ रहस्य समझ आया ? क्या परीक्षा में फेल होने के बाद, उसकी ज्ञानयात्रा भी समाप्त हो गयी ? क्या एक ब्राहमण का, एक मेहतर से, शास्त्रों का ज्ञान लेना उचित है ? ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर हैं, इस अघोरी बाबा की गीता में तो जाइए, अघोरी बाबा बुला रहे हैं |