July 4, 2024

इस बार की संस्कारशाला में, बच्चों को पुराने शास्त्रों के हिसाब से, कोडिंग (कूटशब्द) सिखाये | उसमें उदाहरण दिया –

कर नभ रस और आत्मा सम्वत फाल्गुन मास
सुकल पच्छ, तिथि चौथ रवि जेहि दिन ग्रन्थ प्रकास |

यहाँ कवि ने इसी कूटभाषा (कोडिंग) का प्रयोग किया है | कर (2 ), नभ (0), रस (6) और आत्मा ( 1) इस सम्वत के फागुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि, रविवार को, उन्होंने अपना ग्रन्थ प्रकाशित किया |

इसके बाद बच्चो को अंकानाम वामतो गतिः का नियम बताया कि अंकों की गति सीधे हाथ से उलटे हाथ की तरफ होती है अतः सम्वत को 1602 पढ़ा जाएगा | इस प्रकार, कवि ने कूटभाषा में अपना सम्वत स्पष्ट किया है | ऐसे ही बच्चे अपने पासवर्ड, अपने मम्मी पापा के मोबाइल नंबर, अपने फ्लैट आदि शेयर करें तो कोडिंग में ही करें, ताकि उन्हें कोई समझ न सके |

इसके बाद कटपयादि सूत्र समझाया कि कैसे पुराने जमाने में वर्णमाला के अक्षरों को अंको के स्थान पर लिखा जाता था |

इसके बाद, बच्चों को बताया कि काम यदि लिखेंगे तो उसका अर्थ होगा क = 1 और म = 5 यानी 15 पर अंकानाम वामतो गतिः से, इसको 51 लिखेंगे | ऐसे ही, कमल का मतलब होगा – क = 1, म = 5, ल = 3 अर्थात 153 पर अंकानाम वामतो गतिः से ये होगा 351 | इसी प्रकार बच्चे भी गुप्त भाषा में महत्वपूर्ण नंबर लिख सकते हैं | फिर इसका अद्भुत प्रयोग बच्चों को बताया –

गोपीभाग्यमध्रुवात श्रृङ्गिशोदधिसन्धिग ।
खलजीवितखाताव गलहालारसंधर ।।

हे कृष्ण, गोपियों के भाग्य, राक्षस मधु का वध करने वाले , पशुओं के रक्षक, जिसने समुद्र की गहराई नापी है, दुर्जनों के नाशक, जिसके कंधे पर हल है और जो अमृत धारण करते हैं, रक्षा करो!

लेकिन इस श्लोक में कूट अक्षर भी हैं | गो = 3, पी = 1, भा= 4 य = 1, म = 5, ध्रु = 9, व्रा (रा) = 2 त = 6 आदि
इस प्रकार, यदि हम गौर से देखें तो ये ये पाई का मान निकल कर आता है = 3.1415926 और ये इस श्लोक में 31 अंकों तक दे रखी है | है न कमाल की बात | (इसमें अंकानाम वामतो गतिः का नियम नहीं लगा है)

इसी प्रकार ज्ञान की और भी अद्भुत बातों को जानने के लिए, देखिये, संस्कार शाला का ये वीडियो –

https://www.youtube.com/live/IfPbE53Srk0

इसी सत्र में बच्चों को पंचतंत्र से बगुले की और काकी की कहानी सुनाई जिसमें बुद्धि का महत्व बताया गया, बच्चों को नक्षत्रों के बारे में बताया गया और बच्चों को शिव तांडव स्तोत्र का तीसरा श्लोक याद कराया |

अभिनन्दन शर्मा

1 thought on “संस्कारशाला 2.7

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