व्यास नारायण की स्तुति
नमोनमस्ते व्यास गुरो जय निगमागम कल्पतरो
नमोनमस्ते व्यास गुरो जय निगमागम कल्पतरो
अचतुर्वदनो विश्वविधाता , अचतुर्वदनो विश्वविधाता
द्विभुजो हरि रति परिपालयिता , द्विभुजो हरि रति परिपालयिता
अभालनयनो शिव संहर्ता , अभालनयनो शिव संहर्ता
त्वमेव भगवन् विश्वगुरो
जय निगमागम कल्पतरो
नमोनमस्ते व्यास गुरो जय निगमागम कल्पतरो
वेदारण्यक समारोपणं , वेदारण्यक समारोपणं
उपनिषदमृतोदधि निर्मथनम् , उपनिषदमृतोदधि निर्मथनम्
पुराण मन्दिर परिनिर्माणं , पुराण मन्दिर परिनिर्माणं
त्वयाकृतं हे जगद्गुरो
जय निगमागम कल्पतरो
नमोनमस्ते व्यास गुरो जय निगमागम कल्पतरो
कुरुकुल कलह कथातिविचित्रा, कुरुकुल कलह कथातिविचित्रा
सुमधुर भगवद्गीता मन्त्रा सुमधुर भगवद्गीता मन्त्रा
भागवती गाथा च पवित्रा , भागवती गाथा च पवित्रा
त्वया गुम्फिता सुकवि गुरो
जय निगमागम कल्पतरो
नमोनमस्ते व्यास गुरो जय निगमागम कल्पतरो
विश्वं सकलं व्यासोच्छिष्टं , विश्वं सकलं व्यासोच्छिष्टं
इष्ट वचन मिदमर्थ विशिष्टं इष्ट वचन मिदमर्थ विशिष्टं
सत्यं तथ्यं महतामिष्टं, सत्यं तथ्यं महतामिष्टं
सकल गुरूणा मादिगुरो
जय निगमागम कल्पतरो
नमोनमस्ते व्यास गुरो जय निगमागम कल्पतरो |
स्वामी गोविन्द देव गिरी जी महाराज द्वारा विरचित व्यास नारायण की स्तुति |