वेद क्या है ? क्या कोई पुस्तक या पुस्तकों का संग्रह या तात्विक ज्ञान ?
वेद से अर्थ तात्विक और सत्य सनातन ज्ञान से ही है । इस ज्ञान में कुछ विशेष प्रक्रियाओं को करने का तरीका, दार्शनिक विषयों पर चर्चा, मन्त्रों का संकलन, तात्विक और प्राकृतिक घटनाओं और ज्ञान को इंगित करती कथाएं और सामान्य ज्ञान आते हैं ।
वेद अपौरुषेय हैं, इन्हें किसी ने नहीं संकलित किया (‘लिखा’ शब्द बेमानी है) । इस ज्ञान को गायन, प्रक्रियागत पारंगतता, गुरु-शिष्य परंपरा, सामान्य जीवन के आचरण से बहुत लंबे समय तक अनुरक्षित किया गया ।
कृष्ण द्वैपायन (वेद व्यास) ने इस ज्ञान को अलग अलग भागों में बांटा (अंड रूपी ज्ञान के व्यास किये) ।
1. ऋग्वेद – ऋच्यते स्तूयते यया सा ऋक्, तादृशीनामृचां समूह एव ऋग्वेदः । अर्थात् जिनके द्वारा स्तुति की जाए वे ऋचाएं हैं और उनका संग्रह ऋग्वेद है | श्रीसूक्त, रात्रिसूक्त, मेधासूक्त, शिव-संकल्पसूक्त, श्रद्धासूक्त, हिरण्यगर्भ सूक्त, वाक्सूक्त ऋग्वेद में हैं | इसके अतिरिक्त अग्निसूक्त, वरूणसूक्त, इन्द्रसूक्त आदि भी इसी में हैं |
2. यजुर्वेद – यज्ञादि से सम्बंधित ज्ञान यजुर्वेद में है | यज्ञों का विधान, यज्ञ वेदी का बनाना, कर्मकाण्ड इसमें बताये गए हैं | कई तरह के यज्ञों का इसमें वर्णन है जिनमें सोमयाग, राजसूय, वाजपेय, अश्वमेध, पितृमेध, पुरुषमेध आदि मुख्य हैं | पुरुषसूक्त, शिव-संकल्प सूक्त, प्रजापतिसूक्त इसके ही सूक्त हैं |
3. सामवेद – देवताओं की प्रशंसा में उनको आह्वान करने लिए उच्चस्वर और स्वरबद्ध गाये जाने वाले मन्त्र सामवेद हैं | इसे सामगान भी कहते हैं |
4. अथर्ववेद – थर्व का अर्थ हिंसावाचक है, अतः अथर्व का अर्थ अहिंसा हुआ | इसे ब्रह्मवेद या भैषज्य वेद भी कहते हैं | इसके मन्त्र शान्ति-पुष्टि कर्म वाले हैं , परन्तु इसमें अभिचारक मन्त्र भी हैं | मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, ज्वरादि रोग विनाशक मन्त्र इस वेद में हैं | ब्रह्मविषयक दार्शनिक सिद्धांत, राजनीति, प्रायश्चित्त, आयुष्यकर्म भी इसमें हैं |
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