March 11, 2025
images 1 योग क्या है ? क्या नहीं है ? - योग 2

योग 2

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पहले भाग में बताया था कि योग मतलब जोड़ना (भाग १ का लिंक कमेन्ट में है, पहले उसे अवश्य पढ़ लें) | अंदर से बाहर को जोड़ना ही योग है | जब हम पार्क में कुछ करने जाते हैं तो यदि हम अंदर से बाहर को नहीं जोड़ रहे हैं, तो वो कुछ भी हो सकता है, पर योग नहीं हो सकता | जैसे, लाफ्टर योग – इस में ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं होती, जिसमें हम अंदर से बाहर को जोड़ने का कोई प्रयास करते हों | अतः ये excercise कुछ भी हो सकती है, लेकिन योग नहीं हो सकती है | ऐसे ही न्यूड योग भी, कोई योग नहीं है |

अतः अब इतना स्पष्ट तो हो गया कि योग क्या होता है और कौन से so called, योगा – योग नहीं हैं | पर मुद्दा तो ये भी है कि अंदर से बाहर को एक करें कैसे ? अंदर से बाहर को एकरूप तब ही कर पायेंगे, जब जानेगे कि अंदर क्या है और बाहर क्या है ! जब यही नहीं पता कि अंदर क्या है और बाहर क्या है तो फिर योग कैसे करेंगे ? आपके घर में TV हो, पर आपको उसका रिमोट ही चलाना न आता हो, तो आप वो TV नहीं चला सकते | यदि आपको क्लच, ब्रेक और एक्सेलरेटर नहीं पता है, तो आप कार नहीं चला सकते | अतः पहले अन्दर और बाहर को जानना होगा, तब ही आप योग कर सकते हैं |

हमारे यहाँ शरीर को 24 तत्वों से मिलकर बना, बताया गया है | तत्व माने क्या है ? अंग्रेजी में इसे कहते हैं – एलिमेंट | मेंद्लीफ़ ने एक आवर्त सारणी बनाई, जिसमें उसने बताया कि कुल ११२ प्रकार के तत्व हैं, जिनसे सारी दुनिया बनी है | सभी प्रकार के यौगिक और पदार्थ इन ११२ तत्वों से मिलकर बने हैं | हमारे ऋषियों ने बताया कि नहीं, ११२ नहीं है, मात्र २४ ही हैं | हांलाकि फिर उन २४ की भी बाल की खाल निकाली गयी है कि २४ नहीं, 5 हैं, 5 नहीं, २ हैं और २ नहीं एक है | पर अभी बात शरीर की हो रही है, सो शरीर को २४ तत्वों से मिलकर बनाया हुआ बताया गया है | जिन्होंने इस पोस्ट से पहले २४ तत्वों के नाम नहीं सुने हैं, वो निसंकोच कमेन्ट में ये बात स्वीकार करें कि उन्हें नहीं पता है | (ये स्वीकार करना कि नहीं पता है, ज्ञान की दिशा में पहला कदम है |)

सो २४ तत्वों में आते हैं 5 महाभूत, 5 कर्मेन्द्रियाँ, 5 ज्ञानेन्द्रियाँ, 5 तन्मात्राएँ और मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार | (जिन लोगों को नहीं पता कि ये सब क्या हैं और इनमें क्या अंतर है, बस नाम सुने है, वो भी कमेन्ट बॉक्स में इसे लिखे) | 5 महाभूत – पृथ्वी, जल, आकाश, वायु, अग्नि | ये 5 महाभूत हैं, जिनसे शरीर बना है | पृथ्वी तत्त्व से, घ्राणेंद्रिय (नाक के अंदर की हड्डी) | जल तत्व से, रसना | रसना माने जीभ, रसना तो पिया ही होगा, हैं न | सो रसना माने जीभ | आकाश तत्व से, कान और अन्य शारीरिक छिद्र | वायु से त्वचा (त्वचा में रोमछिद्र होते हैं न, वो भी सांस लेते हैं |) और अग्नि तत्व से – आँखें | आँखें, अग्नि तत्व से बनी हैं, इसीलिए इनको नेत्र ज्योति कहते हैं | होने को तो पेट में भी जठराग्नि होती है किन्तु यहाँ शरीर के अंग बताये जा रहे हैं सो अग्नि तत्व से आँख बनी है |

सो, इस प्रकार इन 5 महाभूत से, शरीर के विभिन्न अंग बने हैं | इसके अलावा, शरीर में 5 ज्ञानेन्द्रियाँ होती हैं | ज्ञानेद्रियाँ अर्थात, जिनसे ज्ञान होता है | 5 ज्ञानेद्रियाँ – नाक – सूंघती है (सांस भी तो लेती है ?) | आँख – देखती है | कान – सुनते हैं | जीभ – स्वाद बताती है | त्वचा – स्पर्श करती है | आप दुनिया कि किसी भी चीज का ज्ञान, इन्हीं 5 इन्द्रियों से करते हैं | या तो आप उसे सूंघ कर बताते हैं कि वो खुशबूदार है या बदबूदार | आँख से आप किसी भी चीज का रूप (रंग, शेप आदि) देख पाते हैं सो उससे भी ज्ञान होता है | कान से आप शब्दों को सुनते हैं, चाहे वो किसी मेटल का गिरना हो, किसी का बोलना हो, किसी का चीखना हो | आप कानों से सुन कर ज्ञान करते हैं कि ये शब्द किस चीज का है, ये कुत्ते की आवाज है, ये बच्चे की आवाज है, ये किसी बीमार व्यक्ति की आवाज है, ये आप बिना देखे, मात्र सुनकर बता सकते हैं अतः कानों से भी ज्ञान होता है | कान से indirectly दिशाज्ञान भी होता है कि आवाज किस तरफ से आ रही है | कोई आवाज पीछे से आयी अथवा किस दिशा से आई, ये भी पता चलता है लेकिन ये मुख्य गुण नहीं है, मुख्य गुण है – शब्द सुनना |

जीभ से आप पता कर सकते हैं कि कोई चीज मीठी है, खट्टी है, चटपटी है, मसालेदार है इत्यादि अतः इससे भी ज्ञान होता है | त्वचा से आप स्पर्श करके पता करते हैं कि कोई चीज ठंडी है या गर्म है | ठोस है या मुलायम है | इस प्रकार का ज्ञान आपको त्वचा से ही होता है | अतः इस प्रकार, ये 5 ज्ञानेन्द्रियाँ हो गयी |

लेकिन तन्मात्रा क्या हैं ? ज्ञान कैसे होता है ? मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार क्या होता है ? ये सब क्या काम करते है ? ये सब अधिक जानने के लिये, हमसे जुड़े रहे, हमारी पोस्ट पढ़ते रहे 😊 आखिर योग सब करते हैं सो योग जानना भी सभी को चाहिए | प्रैक्टिकल तब ही हो पायेगा, जब थ्योरी क्लियर होगी अन्यथा हम exercise को ही योगा समझते रह जायेंगे और उससे असली फायदा नहीं उठा पायेंगे | आप इस पोस्ट को शेयर भी कर सकते हैं (कुछ सार्थक शेयर कीजिये) व्हात्सप्प और फेसबुक पर | छोडिये राजनीति और चुटकुलों को 😇

Abhinandan Sharma

2 thoughts on “योग क्या है ? क्या नहीं है ? – योग 2

  1. Sharmaji Great !

    I was littke bit confused that really It is not false that in Religions one’s God given life to a dead hence another one pick up Govardgan Parvat on its Finger or made a beautiful lady to stones inspite of your Story of Aghodi Baba Miracles but now really happy to know that I am right on my path of Spirituality that ” Kasturi Kundal Base Mrig Dhundhe Ban Mahi. Aaise ghat ghat Ram hain Duniya Jane Nahi.”

    By the way I was thinking in my childhood that Ram – Krishna came here because we are on Spirituality Side and Einstine _ Newton, Max Well, Editson came there because they are on Physicality Side and I was believing the written miracles could be the truth however being a Aghodi Brahmin it was my perception forcefully against by will ( Antratma). However I didn’t spend enough time on Religions understanding GOD BEYOND UNIFORMED RELIGIONS” to constrained refraining from religious contraversies but I believe that Spirituality and Physicality are as true as the Energy and Voccume and Vishnu – Shiva in Hinduism and hence Hinduism – Islam or Christianity will be reaching its end shortly. I believe in one concept that who is on this earth whom never be injustice to me that is God and if he comes with Brahmastra on this earth so it really injustice to me hence that should be false mythology. If he comes on earth he will come like us beyond miracles and only in that case God may not prejudicial to us if we are the drop of water out of that OCEAN _ GOD.

    KASTURI KUNDAL BASE MRIG DUNDHE BAN MAHI . AAISE GHAT GHAT RAM HAIN DUNIYA JANE NAHI.

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