क्या भीष्म अधर्मी थे ?
क्या ऐसा संभव है कि जिस भीष्म के पास, कृष्ण जी स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर को ले जाते हों, वो भी धर्म को समझने के लिए, वो भीष्म अधर्मी हों ? कहीं हम जल्दबाजी में तो या बाबाओं की सुनी सुनाई बातों में तो नहीं मान लेते कि भीष्म अधर्मी थे क्योंकि ये कहना तो बड़ा आसान है कि भीष्म ने द्रौपदी को नहीं बचाया, इसलिए भीष्म अधर्मी थे लेकिन अगर भीष्म अधर्मी थे तो फिर धर्मराज युधिष्ठिर, धर्म को समझने के लिए भीष्म के पास क्यों ले जाये गए, वो भी कृष्ण जी द्वारा | धर्म को समझना इतना भी आसान नहीं है |
युधिष्ठिर धर्म के बारे में कहते हैं कि ये छुरे की नोक की तरह पैना और पहाड़ की तरह विशाल और भारी है | अतः धर्म को समझने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए | ये गूढ़ और सूक्ष्म विषय है, ऐसे तत्काल आसान निर्णयों से बचना चाहिए कि भीष्म ने द्रौपदी को नहीं बचाया सो वो अधर्मी हो गए, उन्होंने अधर्म किया | ये तो मंचाधीशों के आसान निष्कर्ष हैं क्योंकि वो इसे समझा नहीं पाते | धर्म डूबने का विषय है, ऐसे आसान निष्कर्ष देने का नहीं | क्योंकि व्याख्या नहीं है तो आसान तरीका यही मिलता है कि भीष्म को ही दोषी बना दो | आइये जानते हैं – भीष्म ने द्रौपदी को क्यों नहीं बचाया |