चुपड़ी रोटी से भगवान् विष्णु की कृपा
आजकल बहुत से लोग कहते हैं, कि परोपकार करो, दान करो, मदद करो या हवन आदि करने से ईश्वर की प्राप्ति होती है | पर क्या ये सही है ? ईश्वर की प्राप्ति के बहुत सारे रास्ते बताये गए हैं, किन्तु आजकल लोग भ्रमित हैं कि कैसे प्राप्ति हो | इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत है आज की कथा, राजा चोल और विष्णुदास की | इस कथा से समझ आएगा कि कर्म कैसा भी हो, पुण्य या पाप, अंततः बाँधने वाला ही होता है | पुण्य कर्म से स्वर्ग की प्राप्ति और पाप कर्म से नर्क की प्राप्ति होती है, ऐसा कहा जाता है किन्तु पुण्य कर्म से ईश्वर प्राप्त होगा, ऐसा नहीं है | इसके लिए तो ईश्वर से एकाकार होना पड़ेगा | पुण्य व्यर्थ नहीं हैं, पुण्यों के बढ़ने से ही, चरित्र में शुद्धता और ईश्वर भक्ति का गुण जगता है लेकिन केवल पुण्य से ईश्वर प्राप्त नहीं होगा | उस पुण्य से उपजे तेज को, और बढ़ाना होगा ! या तो पुण्य की पराकाष्ठा से अथवा भक्ति और योग की पराकाष्ठा से |
इस गूढ़ विषय को आज और समझते हैं |