November 21, 2024

इस प्रकार की बहुत सी पोस्ट, कुछ ख़ास उद्देश्य से बनाई और वायरल की जाती हैं | जिनमें प्रमुख उद्देश्य होता है, आपको अपने धर्म से दूर करना | जब इस प्रकार की पोस्ट वायरल की जाती हैं तो 100 में से १ व्यक्ति अर्थात १% लोग, इसके प्रभाव में आ ही जाते हैं क्योंकि साधारण तर्कबुद्धि कहती है कि देखो, कितनी सही बात है | इस प्रकार की पोस्ट बनाई भी इस प्रकार के psychological तरीके से जाती हैं, जिनमें आप एक ख़ास दिशा में, सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं और एक त्वरित निष्कर्ष निकाल लेते हैं | पहले ये वायरल फोटो देख लेते हैं, फिर इस पर चर्चा करेंगे –
fake post खंडन 13 - विज्ञान और धर्म को तौलती हुई पोस्ट का खंडन


किन्तु किसी भी पोस्ट को पढ़कर, त्वरित निष्कर्ष निकालने की बजाय और जो भी उदाहरण उसमें दिए गए हैं, उनको सोचने की बजाय, आपको उस तर्क को, अन्य उदाहरणों पर भी लगाकर उस पोस्ट को वेरीफाई अवश्य करना चाहिए | जैसे कि इस पोस्ट में लिखा है कि 7 दिन आप धर्म को छोड़ दीजिये तो कुछ नहीं होगा लेकिन विज्ञान यथा टीवी, फ्रिज, कार आदि को छोड़ देंगे तो पता चल जाएगा कि धर्म और विज्ञान में से कौन ज्यादा महत्वपूर्ण है | अब यहाँ कुछ और उदाहरण देखते हैं, इसी तर्क से –
भोजन यानि अन्न तो प्रकृति देती है, विज्ञान ने नहीं बनाया है | जब हवाई जहाज नहीं था, तब भी फल और अन्न तो थे | उसके बिना आप कितने दिन रह सकते हैं ? 10 दिन, 15 दिन… ! पर नानी तो आपको तब भी याद आ जायेगी | आप फ्रिज, टीवी, वाहन प्रयोग कीजिये पर भोजन मत कीजिये तो भी आपको पता चल जाएगा कि प्रकृति और विज्ञान में कौन महत्वपूर्ण है | पानी के बिना आप 3 दिन नहीं निकाल पायेंगे, वो भी विज्ञान सभी को उपलब्ध नहीं करा सकता है, ये भी प्राकृतिक संसाधन है | धूप के बिना वनस्पति कैसे होगी ? तेल, धूप, कोयला आदि प्राकृतिक संसाधनों के बिना आपका विज्ञान कितनी देर खडा रह पायेगा ? हवा का क्या रिप्लेसमेंट हैं, विज्ञान के पास, जो सारी दुनिया को दिया जा सके !
इसका अर्थ ये है कि विज्ञान के पास वो सब नहीं है, जो प्रकृति के पास है | इस विज्ञान से पहले ही, उस प्रकृति (प्र+कृति = सबसे पहली कृति, रचना) ने मनुष्य के लिए, सभी संसाधन दिए हैं | पर यदि कृति है, तो कृतिकार भी अवश्य होगा !!! कोई रचना है तो रचनाकार भी होगा, मूर्ती है तो मूर्तिकार भी अवश्य होगा | भोजन है तो भोजन बनाने वाला भी अवश्य होगा | अब यदि हमारा धर्म, उस रचनाकार की आराधना करना सिखाता है तो इसमें क्या गलत है ? जिस हवा, पानी, धूप के बिना हम 7 दिन तो क्या, 7 मिनट भी नहीं रह सकते हैं, क्या उन सबको हमें उपलब्ध कराने वाले को हमें शुक्रिया नहीं कहना चाहिए ? यदि हम नहीं करते हैं तो ये कृतघ्नता है | धर्म आवश्यक है, जब तक वह ईश्वरोन्मुख है | जब वह इश्वरोंमुख नहीं है, तब वह प्रपंच है, मिथ्या है, ढोंग है | मंदिर जाने पर भी आप केवल भोग लगा कर और भिखारी की तरह कुछ मांग कर आ जाते हैं तो वो गलत है और यदि घर पर बैठ कर, आप १ घंटा ध्यान करते हैं, जप करते हैं, हवन करते हैं, मंत्रोच्चार करते हैं तो वो सही है |
आप उस विज्ञान की तारीफ करने की कह रहे हैं, जिसकी कोई सत्ता ही नहीं है | जो आज है, कल नहीं होगा | कोरोना ने आपके सारे विज्ञान की धता बता दी है क्योंकि विज्ञान, प्रकृति से नहीं जीत सकता है | बेटा कभी, बाप से बड़ा नहीं हो सकता है | अतः हमारे धर्म के बारे में हमें ज्ञान न दें | आप अपने विज्ञान के बारे में उतना नहीं जानते हैं, जितना हम अपने धर्म के बारे में जानते हैं अतः इस प्रकार की फर्जी, एकतरफा पोस्ट करके, हमें भरमाने का प्रयास बंद कीजिये | आप जितना इस प्रकार के झूठ फैलायेंगे, हम उतने बढ़ते जायेंगे और आपकी पोस्ट को खंडन करते जायेंगे | यदि आपको ये पोस्ट अच्छी लगी है तो कृपया इसे अवश्य शेयर करें |
पं अशोकशर्मात्मज अभिनन्दन शर्मा

1 thought on “खंडन 13 – विज्ञान और धर्म को तौलती हुई पोस्ट का खंडन

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