धर्म क्या है ? – लाइव वेबिनार
इस समबन्ध में विभिन्न मत मतान्तर प्रचलित हैं | धर्म की अभी भी कोई सम्पूर्ण परिभाषा, कहीं आसानी से उपलब्ध नहीं होती है | एक ऐसा विषय, जिसको देख कर लगभग सभी को लगता है कि मैं तो धर्म को जानता हूँ | मैं तो धार्मिक हूँ | किन्तु हम जिस धर्म को जानते हैं अथवा जिस धर्म को हमने समझा हुआ है कि ये चीज धर्म है – क्या वास्तव में वो ही धर्म है ? या कहें कि क्या धर्म केवल उतना ही है, जितना हम जानते हैं ?
कहीं ऐसा तो नहीं कि धर्म कुछ और ही हो और हम धर्म को कुछ और ही समझ रहे हों क्योंकि जो हमने धर्म के बारे में जाना है, वो क्या किसी शास्त्र से जाना है ? क्या स्वय किसी ग्रन्थ में उस परिभाषा को पढ़ा है अथवा मात्र रामचरित मानस की, महाभारत की अथवा गीता की किसी एक पंक्ति से ही धर्म को समझ लिया है ? क्या वो एक पंक्ति ही धर्म है ? उसके आगे पीछे कुछ नहीं है ?
कहीं ऐसा तो नहीं है कि हम धर्म के विषय में जानते ही न हों और स्वयं में एक धारणा बना ली हो कि ये-ये चीज धर्म है | पर ये पता कैसे चलेगा ? ये तब पता चलेगा जब हम इस पर चिन्तन करेंगे, मनन करेंगे, चर्चा करेंगे | दूध से दही बनता है, दही से मक्खन बनता है और मक्खन से घी बनता है | तो किस प्रकार घी बना – धैर्य से और बिलोय कर ! बिना बिलोय, बिना अपनी सोच में आलोढन किये, हम किसी नयी चीज तक नहीं पहुँच सकते हैं |
अतः अब समय है कि हम चेक करें कि जो हम मानते आ रहे हैं, जो हम समाज में सुनते आ रहे हैं, क्या वही शास्त्रों में भी लिखा है धर्म के बारे में या धर्म कुछ और ही है !
जानते हैं, धर्म क्या है ? कितने प्रकार का होता है ? धर्म की परिभाषा क्या है ? जीवन भर जिस धर्म को फॉलो करते हैं, उसमें आँख बंद करके विश्वास करने से अच्छा है कि एक बार उसे अच्छे से समझा जाये कि जिसे जीवन भर मानते आ रहे हैं, वो आखिर चीज क्या है ? बिना जाने ही फॉलो करना, किसी भी चीज को खतरनाक होता है |
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