शास्त्र : क्या सच, क्या झूठ – राघवयादवीयम् के बारे में वायरल पोस्ट का सच
यह पोस्ट काफी समय से सोशल मिडिया पर वायरल है कि ऐसा भी एक अद्भुत काव्य ग्रन्थ है, जिसे सीधा और उल्टा, दोनों प्रकार से पढ़ा जा सकता है और दोनों ही प्रकार से पढने पर भी इसका कोई भी शब्द, अन्यार्थक अथवा निरर्थक नहीं होता | सीधा पढने पर, ये श्रीराम जी की स्तुति बन जाती है और उल्टा पढने पर ये, श्रीकृष्ण जी की स्तुति बन जाती है | यह ग्रन्थ कवि वेंकटाध्वरि द्वारा रचित बताया जाता है |
हमने इस स्तोत्र को पूरा देखा, उल्टा-सीधा दोनों तरह से पढ़ा और हमें ये बात सही ज्ञात हुई कि ये सच में अद्भुत ग्रन्थ है और शायद विश्व की एकमात्र रचना हो, जो इस प्रकार लिखी गयी हो, जो दोनों तरफ से अर्थात अंत से शुरू की ओर और शुरू से अंत की ओर पढ़ी जा सकती हो | यदि काव्यरचनाओं की बात हो, तो निश्चित ही, ऐसी अद्भुत रचना को, विश्व के आश्चर्यों में जोड़ा जाना चाहिए, ताकि पता चले कि ऐसा भी कोई ग्रन्थ, किसी भाषा में उपलब्ध है | केवल संस्कृत भाषी अथवा हिंदी भाषी कुछ लोग ही, इस ग्रन्थ के बारे में जान पायें तो ये इस ग्रन्थ के साथ बड़ा अन्याय होगा |
इस ग्रन्थ का सम्पूर्ण पाठ, हिंदी में अनुवाद के साथ, आप नीचे दिये गए लिंक पर पढ़ सकते हैं और अन्य लोगों से भी शेयर कर सकते हैं (उपरोक्त पोस्ट में केवल संस्कृत में लिखा हुआ है, जिससे कि हिंदी भाषी, इसे चेक नहीं कर पाते, अतः हम हिंदी अर्थ सहित शेयर करते हैं) ऐसे अद्भुत ग्रन्थ की जानकारी, हर उस व्यक्ति को होनी चाहिए, जो अपने पूर्वजों को मूर्ख समझते हैं कि उन्होंने काल्पनिक आधार पर राम और कृष्ण को मान लिया, जब वो इस रचना को देखेंगे तो पायेंगे कि जिन्हें वो मूर्ख, पिछड़ा हुआ समझते हैं, वो कितने कुशाग्र बुद्धि थे | आप हिंदी में एक लाइन ऐसी नहीं लिख सकते, जो उलटी और सीधी पढ़ी जा सके लेकिन हमारे पूर्वज गजब के तीक्ष्ण बुद्धि थे अतः उनके विवेक पर प्रश्नचिन्ह लगाना और अपने आपको, उनसे श्रेष्ठ समझना बंद होना चाहिए और मानना चाहिए, कि हमारे पूर्वज, कुछ भी करते थे, तो उसके पीछे गहन शोध, अध्ययन, तीक्ष्ण बुद्धि रहता था |
हिंदी और संस्कृत दोनों में, सम्पूर्ण ग्रन्थ – https://bit.ly/2YBwpmm
पं अशोकशर्मात्मज अभिनन्दन शर्मा